प्रिय ज़िन्दगी,
- Aman Vishera
- Mar 28, 2019
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प्रिय ज़िन्दगी, कैसी हो? बहुत वक़्त होगया तुमसे मिले हुए, रविवार को अगर कुछ काम न हो तो कैफ़े कॉफी डे में मिले ठीक 1 बजे? अभी भी नाराज़ हो ना मुझसे? बिल्कुल सही है, होना भी चाहिये, इतनी सारी गलतियां जो कि है मैंने। गधा, पागल, बेवकूफ, नासमझ सब हूँ मैं। मैं जानता हूँ मुझसे बहुत गलतिया हुई है, मैंने कई बार तुम्हे दूसरो की ज़िन्दगियों से तुलना करके तुम्हारे दिल को ठेस पहुंचाई है, और जब भी कोई अक्सर तुम्हारे बारे में मुझसे पूछा करता है तो मैं कुछ खास ख़ुशी से जवाब नहीं देता। मैंने बेवजह तुम्हे कई बार गालियां दी, तुम्हे कोसा, और दूसरों की गलतियों का गुस्सा तुम पर यूँही बेफिजूल उतार दिया करता था। किसी ने सही ही कहा है, "तुम पास थी तो ध्यान ही नही दिया, और अब जब तुम दूर हो तब तुम्हारी कमी खलने लगी है।" मैं हमेशा तुम्हे डाटता था कि ऐसे करो, वैसे मत करो, फलाना ढिमका। याद है कैसे जब मैं परेशान होजाता था तो तुम चुपके से यादों की डिबिया में से कुछ हिस्सो को लाकर मेरे हाथ में सौंप देती थी और मेरी सारी परेशानियां एकदम से फुर् होजाती। मैं अपनी सारी गलतियों की माफी माँगता हूँ, और तुम जैसी भी हो, मुझे अब तुम ऐसी ही पसंद हो। अच्छा बाबा कान पकड़ कर सॉरी, उठक बैठक भी लगा दूंगा जितना तुम कहोगी। उम्मीद है तुम मुझे माफ़ कर दोगी। अच्छा हा, ध्यान से 1 बजे आ जाना, मैं इंतज़ार करूँगा, आओगी ना? ❤️ . तुम्हारा साथी, प्यारे
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