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तुम आओगी ना ?


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अगली बार भी यहाँ आऊँगा, मगर तम्हारे साथ, आओगी ना ? यहाँ सुकून है, तुम्हे रोकने टोकने वाली दुनिया से बहुत दूर... यहाँ आते ही हम तीनों अपनी ही दुनिया में खो से जाएंगे... सोच रही हो तीन कौन? अरे बुद्धू ! तुम, मैं और यहाँ की हावायें। जब तुम समंदर को बिना पल्खें झपकाए देखी जा रही होंगी, तभी एक छोटी सी हवा चुपचाप से आकर तम्हारे गालो को चूमने और जुल्फे के साथ खेलने लगेंगी , और तुम फिर मुझे देखोगी मुस्करा कर, उस मुस्कराहट में एक सवाल होगा, "की क्या मैं इन छोटी सी हवाओं को मुट्ठी में बंद करके वापस अपने साथ ले जा सकती हूँ?" और मैं भी बदले में तुम्हे एक मुस्कराहट भेजता हूँ जिसे तुम बड़े आराम से समझ जाती हो कि "हाँ, तम्हारे लिए इन हवाओं से बात करता हूँ, की वो अपना छोटा सा हिस्सा मुझे उद्धार दे सके, जिसे मैं बाद में सूद समित जरूर चुका दूँगा।" सब कुछ करेंगे, बस इतना बताओ पहले, तुम आओगी ना ? ❤️

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