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एक लड़की है , जिसे गुस्सा आता है


एक लड़की है , जिसे गुस्सा आता है तो वो कुछ कहती नहीं बल्कि दौड़ कर कही भाग जाती है, शायद अकेलेपन की तलाश में और मैं बावरा सा उसे ढूंढता रहता हूँ। कहती है वो किसी और का गुस्सा , मुझपे नहीं उतारना चाहती मगर मैं आज तक नहीं ढूँढ पाया कि वो जाती कहाँ है। एक दिन पापा ने उसे डाट दिया और वो हर बार की तरह फिरसे भाग गई अपने अकेलेपन से मिलने, मगर इस बार मैं पीछा करता करता उस तक पहुँच गया...और वो ठीक ऐसे ही बैठी थी, नहीं शायद यही है वो, चुपके से उसका फ़ोटो लेलिया मैंने। उसने भी मुझे देख लिया था शायद पर कुछ कहा नहीं। मैं भी कुछ दूर खड़ा इंतज़ार करता रहा, मगर उसके पास नही गया। वो बैठी बैठी झील में पत्थर फेंके जारी थी जैसे पत्थरों में गुस्सा थूक कर एक शांत सी झील को अर्पित कर दिया हो, और फिर जब पत्थर खत्म होगए, वो उठी और मेरे पास आकर मुस्कराई और बोली चलो मुझे मेरी पेंटिंग खत्म करनी है। . पता नहीं क्या सोचती है मगर जब लौटती है ऐसे हस्ती है जैसे कुछ हुआ ही नहीं। जितना वक़्त अपनो के लिए निकालना जरूरी है शायद उतना ही अपने लिए भी।❤️

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