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हमारा घर इंतज़ार कर रहा हैं।



सुनो, वो दूर शहर में कहीं हमारा घर होगा, तारों की मखमली चादर के नीचे सिमटा सा। नाव तैयार रखी है और चप्पू भी ले आये है जाने के लिए... बस तुम्हारा इंतज़ार है कि खत्म ही नहीं हो रहा... अब जल्दी आओ, यह लड़कियाँ तैयार होने में वाकई कितना समय लगाती है... सदिया बीत ती जा रही है सखी और मेरा मन बेचैनी से भरता जा रहा है। जैसा तुमने कहा था ठीक वैसा ही घर है, झूला भी है, एक छोटी सी बालकनी, और एक कमरा जिसमे तुम्हारी तस्वीरे और रंग बिखरे पड़े होंगे। देखो न यहीं है हमारे सपनो का शहर, जहाँ सिर्फ है तुम और मैं।❤️ . आजाओ, हमारा घर इंतज़ार कर रहा हैं।

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