top of page

प्रत्येक व्यक्ति में क्रांति लाने की क्षमता होती है I




मुझे लगता है प्रत्येक व्यक्ति का जन्म एक क्रान्ति लाने के लिए हुआ है | प्रत्येक व्यक्ति में क्रांति लाने की क्षमता होती है परन्तु हम अपनी क्षमताओं को केवल और केवल अपने स्वार्थ को भोगने के लिए प्रयोग करते हैं | हमारे अंदर का “मैं” अहंकार का प्रचंड रूप धारण कर लेता है | मेरा सुख, मेरा दुःख, मेरा परिवार, मेरे पैसे, मेरा घर, मेरी गाड़ी इत्यादि | समाज में कभी कोई कार्य नहीं किया जिससे लोगों के दुःख दूर हो | समाज में पहले भी पाप हो रहे थे और आज भी हो रहे है | पहले भी कुछ संवेदनशील व्यक्तियों ने समाज के उत्थान के लिए कई कार्य किये और आज भी कुछ लोग अवश्य कर रहे होंगे | यह दुनिया जितनी भी बाकी बची है, उन मुट्ठी भर सच्चे संवेदनशील व्यक्तियों द्वारा ही चल पा रही है | हम बड़ी आसानी से स्वीकार लेते हैं, कि इस दुनिया का कुछ नहीं हो सकता, कलयुग आ चुका है | कलयुग तो कबीर के समय में भी था, नानक के समय में था | अगर वह बैठ गये होते यह सोचकर कि दुनिया ऐसी ही है क्या करें, तो आज जिन लोगों तक भी कबीर की बात पहुँची है, वह इन बातों से अछूते रह जाते | आप एक व्यक्ति की ताक़त देखिये कि ४०० साल पहले व्यक्ति के कहे गये वाक्य ने आज हमारे विचार बदल दिए हैं | क्या यह चमत्कार नहीं है ? क्या यह क्रांति नहीं है ?



युवा के मन में भर दिया गया है कि अच्छे कॉलेज से पढलो, पैसे वाली नौकरी करो और सुंदर से लड़के/लड़की देखकर शादी करो | ज़माना आज यहाँ तक बदल चुका है कि ज्ञान से पहले सेक्स और नशा पहुँच चुका है लोगों के पास | क्यूँ ? क्यूंकि यह जो उन्हें बताया गया है वह कोई बहुत बड़ा लक्ष्य नहीं है | वह असल में लक्ष्य ही नहीं है | वह तो जीवन यापन के लिए रोजगार का साधन मात्र है बस | लक्ष्य वह होता है जिसके लिए रात की नींदें उड़ जाए और आप यह न तय करो की ४० की उम्र तक इतना पैसा और फिर रिटायर | लक्ष्य ऐसा हो कि जब तक मृत्यु न हो तब तक वह कार्य में लगे रहना | ऐसे क्रान्ति की एक लहर जन्मती है | चाहे वह कोई भी क्षेत्र हो : विज्ञान हो या तकनीक या अध्यात्म या जानवरों का रक्षण या पढाई इत्यादि |



हर वो कार्य जो पहले नामुमकिन थे, जिन्हें कठिन परिश्रम से मुमकिन साबित किया गया वह एक क्रान्ति ही है | पर हमारा ध्यान कभी क्रान्ति लाने पर होता ही नहीं है | हमने अपने हथियार पहले ही डाल दिए हैं | एक झूठे और अहंकारी व्यक्ति के अंदर बड़ी शक्ति होती है, वह अपने हथियार इतनी आसानी से नहीं डालता परन्तु एक सच्चा और संवेदनशील व्यक्ति अपने हथियार जल्दी से डाल देता है क्यूंकि उसके मन में अभी तक यही छवि है कि सच कमजोर होता है | ऐसे लोग झूठे होते हैं जो स्वयं को सत्य के पथ पर चलने को कहते हैं और हथियार उठाना नहीं जानते हैं | असल में वह सत्य है ही नहीं | जिस सत्य में डर रहता है वह सत्य हो ही नहीं सकता| हथियार से बात यहाँ चाकू या असले की नहीं है | हथियार का अर्थ यहाँ आवाज़ से हैं | आपके सामने कुछ भी गलत होता रहता है परन्तु आप चुपचाप सब कुछ स्वीकार करते चले जाते हैं | आपकी एक चुप्पी सामने वाले को वह बुरा कार्य करने की और शक्ति देती है | जैसे महाभारत होने का कारण केवल दुर्योधन नहीं था | द्रौपदी चीरहरण के समय भीष्म पितामह, अंगराज कर्ण और गुरु द्रोण की चुप्पी थी | ये तीनों ही सत्य के पथ पर चले थे और सदैव धर्म का आह्वान किया परन्तु जब अधर्म हो रहा था तब ये मौन थे | इनके मौन ने ही दुर्योधन को इतने अधर्म करने की शक्ति दी थी |




युवा बस जल्दी से पैसे कमाना चाहता है, फेमस होना चाहता है, ट्रैकिंग पर जाना चाहता है, दुनिया घूमना चाहता है | इन सब इच्छाओं में कोई बुराई नहीं है, लेकिन इन सबके बावजूद क्या कोई इच्छा या कार्य नहीं है जो वो समाज के लिए करना चाहे ? उसके मन में भाव ही उत्पन्न नहीं होता कि वह इस धरती को, लोगों को कुछ देना चाहता है | productivity के नाम पर किसी एक कार्य को एकाग्रता से करने की शक्ति खोते जा रहे हैं | स्थिरता खोती जा रही है | anxiety और depression से पीड़ित लोगों की संख्या बड़ती जा रही है | आत्महत्या के केस दिन प्रतिदिन बड़ते जा रहे हैं | माँ-बाप स्वयं कुछ नहीं जानते कि क्या है जीवन, और बच्चे पैदा करके, उन्हें बस ठूस देते हैं इस दुनिया के चक्रव्यूह में कि जाओ पैसे कमाओ और शादी करो और बच्चे पैदा करो | ऐसे युवा फैक्ट्री से निकली प्लास्टिक बोतल जैसे ही हैं | सब एक जैसे ही हैं, दिखने में, कर्म में, एक ही अंत है सबका, बस अंकों की संख्या भिन्न है | हर एक व्यक्ति यहाँ अपना अकेलापन और दर्द छुपाने के लिए नशा, सेक्स, पार्टनर का सहारा लेता है और अपने आप को कूल या कलयुग बोलकर justify भी करता है | ऐसे युवा से हम क्रांति कि अपेक्षा कैसे करें ? उठो मित्रों, उठो ! जागो ! दौड़ो ! इस सृष्टि को तुम्हारी आवश्यकता है | एक नई क्रान्ति की आवश्यकता है |



~ अमन विशेरा

Commenti


bottom of page